Saturday, June 24, 2017

गुजरात के एक ब्यापारी के नजर से जीसटी की प्रायोगिक मुस्किले --- दीपक गणात्रा अहमदाबाद Practical problem for implementing proposed GST by BJP government. Written by an Ahmadabad based businessman Mr. Deepak Ganatra.


*GST सुन सुन कर ऐसे लग रहा है मानो व्यापारी एक स्वतंत्र व्यक्ति न हो कर किसी तानाशाही या कम्युनिस्ट देश की किसी फैक्ट्री का मजदूर है।*


*यहां पर पैसा व्यापारी का, दुकान व्यापारी की, सिरदर्दी व्यापारी की, नुकसान व्यापारी का, चोरी होने या घाटा होने पर नुकसान व्यापारी का।* 

*इन सब के बावजूद*
... *कानून सरकार का* ---


*वो भी ऐसा की अच्छा अच्छा CA भी गश खा जाए, आम व्यापारी की तो बात ही क्या है। कानून का मकड़जाल इतना कि मानो व्यापारी व्यापार न करके किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग की 5 साल की डिग्री की पढ़ाई कर रहा हो।*


*ऊपर से सरकार का चाबुक और जेल का दरवाजा अलग तैयार है।*


*नेता बिरादरी में आपस में भले ही कुत्ते, बिल्ली का बैर हो पर जब बात अपने भले (पैसा, वेतन, भत्ते बढ़ाने की) आती है तो सभी एक हो जाते हैं।*


*इसके अलावा यदि जनता को निचोड़ने का कोई कानून बनाना हो तो भी इस हमाम में सभी एक नजर आते हैं।*


*मोदी कहता था सारे टैक्सों का झंझट खत्म करके एक सिंपल ट्रांजेक्शन टैक्स 1 या 2%का रखूंगा ---- वह भी चुप है।*


*सैक्यूलर और राष्ट्रवादी पार्टियां चुप हैं। अरे सर, इतना झंझट व्यापारी के गले में क्यों डाल रहे हैं। आम व्यापारी तो वैसे ही मुंडी हिलाएगा जैसे उसका CA या वकील कहेगा --- हर जगह अंगूठा लगा देगा क्योंकि इतनी तकनीकी जानकारी रखने की समझ या समय आम व्यापारी भाई के पास कहां है।*


*सीधा सा एक टैक्स लगाइए 1 या 2%। सभी व्यापारी अपनी सेल पर 1 या 2% टैक्स लगाएं और जमा कराएं -- झंझट खत्म।*


*5 - 6 जगह से माल निकल कर ही अंत में पांचवीं या छठी जगह पर रिटेल में काउंटर पर बिकता है तो 1 या 2% के हिसाब से 5-6% या 10-12% टैक्स तो सरकार को मिल ही जाएगा।* 


*लेकिन यहाँ GST (लगभग 28%)की भारी गठरी का बोझ या तो ग्राहक उठाए या व्यापारी अपने पल्ले से दे।* 


*1-2% टैक्स सिस्टम से इस टैक्स की गठरी का बोझ (जितनी जगह माल बिकेगा) उतनी जगह लगने से हर बंदे पर थोड़ा थोड़ा बोझ पड़ेगा। न व्यापारी परेशान होगा, न ग्राहक दुखी होगा और न चोरी होगी।*


*आदरणीय प्रधानमंत्रीजी,*

*भारत-सरकार,* 

*कुछ आपकी पार्टी के अन्नय-भक्त भी ऎसा सोचने लगे हैं।* 

 *क्या आपके पास इसका कोई समुचित निदान है?*


व्यापारी मित्रों 


( 1 ) चुनाव के पहले tax terror  को समाप्त करने का वादा करने वाले मोदीजी ने अब उल्टा tax terror को कई गुना बढ़ा दिया है l


( 2 )  Income tax raid ,

search , seizure , scrutiny cases , reassessment , notices आदि अपनी चरम सीमा पर है l 


( 3 ) पूरे देश मे भय का माहौल बना दिया है l मोदीजी खुद के गुणगाण मे , विदेश भ्रमण मे और प्रवचनों मे लिप्त है l जेटली रोज़ व्यापारियों को जैल मे डालने और परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे है l 


( 4 ) आज तक किसी भी सरकार ने इस तरह की हरकत नही की l जब विदेशो से काला  धन लाने के नाम पर फूटी कौड़ी भी  नही आई तो जेटली जी  अपना चेहरा छिपाने के लिये हम व्यापारियों के पीछे पड़ गये है l 


( 5 ) यह दिखाया जा रहा है कि व्यापारी समाज भ्रस्ट है l लाखों लाखों करोड़ खा जाने वाले लोग , चुनाव मे बेशुमार काला धन खर्च करने वाले लोग , ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे है l 


( 6 ) हम कर दाताऔ को ही कर चोर साबित करने मे लगे है , आतंक और मंदी का माहौल है,

भ्रष्ट अफसरों को मौज हो गई है l  निक्कमे , कामचोर , निर्ल्लज ,

भ्रष्ट , घूस खोर अधिकारीयों की पूरी फौज सक्रिय हो गई है l 

घूसखोरी अपनी पराकाष्ठा पर है l कोई रोकटोक नही है , officers को  मनमानी करने की छूट है l 


( 7 ) हम खुद capital लाते है, दिन रात मेहनत करके, खून पसीना बहाकर, चौबीसों घंटों चिंतित रहकर, अपनी सुख सुविधा  अपने health का ख़याल छोड़ कर काम मे लगे रहते है l व्यापार और केवल व्यापार l घर , परिवार , समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य का सोच नही पाते, केवल काम की धुन l व्यापार के सिवा  कूछ भी नही l हमारे working hours समाप्त ही नही होते बस लगे ही रहते है l पूरी ताकत से और ताकत से भी ज्यादा कर लेते है l 


( 8 ) और इस आपाधापी मे मालूम ही नही होता कि कब कौन सी बीमारी लग गई , और लगता है कि शरीर का भी सोचना चाहिये था l कितने समाजिक काम रह गये , घर परिवार का नही सोचा , केवल व्यापार और काम  का ही सोचा l जी तोड़ मेहनत करके चार पैसे जोड़ लिये पर काफी कूछ छूट जाता है l


( 9 ) पर एक संतोष रहता है कि हम कभी थके नही , काम करते गये , खुद काम मे लगे और बहुतों को काम दिया l कितने ही परिवारों का पालन पोषण हुआ l 


( 10 ) किस तरह अपनी मेहनत से पूराने काम को या किसी नये business को  , तिल तिल कर  आगे बढ़ाया, असफलता का मुकाबला किया , कितने risk लिये , कितनी कठिन स्थिति से गुजरे , समय समय पर लिये  सटीक निर्णय आदि का ख़याल कितना संतोष देता है l पर कहीं से भी या किसी भी तरह कोई भी मंत्री हमारी देश हित मे भागीदारी का उल्लेख नही करता  l 


( 11 )  लगता है इस देश मे व्यापार करना जैसे कोई अपराध या गुनाह है l इतने कानून बना दिये है , इतने license बना दिये है , इतने तरह की formalities है  कि इनका ठीक ठीक maintenance सम्भव ही नही है l इनमें ही ज्यादा  समय , और शक्ति  लग जाती है , कारोबार के लिये कम समय रह जाता है l 


( 12 ) और यही से सरकारी अफसरों की मनमानी शुरू होती है l यहीं से घूसखोरी और भ्रष्टाचार का जन्म होता है l यह तो कानून बनाने वाले भी जानते है कि इतना सम्भव ही नही है l पर उनको इससे क्या ?

घूसखोरी और भ्रष्टचार को बढ़ावा देना ही जिनका मकसद है वे कभी भी सुधार नही चाहते l 

जब मन किया notice भेज दिया , जब मन किया detalis माँगली , जब भी दिल किया पूछताछ के लिये चले आये l हमको तो आतंकवादियों से भी ज्यादा जिल्लत और अपमान सहना होता है l


( 13 ) और इससे क्या फायदा होता है , किसका भला होता है , क्या मकसद पूरा होता है , देश का समाज का कुछ भला होता है क्या ?  ये भ्रष्ट officers  लोग क्या  काम कर रहे है l ये देश को दीमक की तरह चाट रहे है , खोखला कर रहे है l 


( 14 ) इस कारण कारोबारी समाज का शिक्षित नवजवान , और वर्तमान पीढी business मे रुचि नही ले रही है l दूसरों को काम दे सकने की छमता रखने वाले खुद काम माँग रहे है l आरामतलब जिंदगी की तमन्ना पनप रही है l बहूत ही भयावह स्थिति है l ये देश हित मे नही है l जिस समाज ने करोड़ों करोड़ों हाथों को काम दिया है उसका उदासीन होना खतरनाक है l 


( 15 ) कितनी भी विदेशी पूँजी आजाये , कितने भी नये रोजगार पैदा हो जाये किंतु इसकी भरपाई सम्भव नही है l बिना मतलब के कानूनों को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिये l single point taxation ही इसका उपाय है l 


( 16 ) हम व्यापारी तो हाथ जोड़ कर tax देना चाहते है l पर इतने तरह के tax , इतने तरह के झंझट नही चाहते l जितना जरूरी हो एक साथ , एक ही जगह tax लगा देना चाहिये l हम खुशी खुशी देंगे l किंतु इन भ्रष्ट officers, inspectors, notices, licences, renewals, records maintainance आदि से मुक्ति चाहते है l 


( 17 ) हम चाहते है इन एक नम्बर दो नम्बर के बही खातों और कच्चे पक्के बही खातों की समाप्ति हो l ये सब भ्रष्ट कानूनों और भ्रष्ट सरकारी अफसरों की देन है l हमको तो इस भ्रष्ट व्यवस्था मे लिप्त किया गया है , हमारी चाहत नही है बल्कि मजबूरी है l हम तो परेशान है , त्रस्त है और इसकी समाप्ति चाहते है l 

( 18 ) हम middle class के छोटे बड़े कारोबारी शांति प्रिय लोग है l हमको अपने दो हाथों , अपनी मेहनत  और कार्य  कुशलता पर भरोसा है l हम जंगल मे मंगल कर सकते है l हम विदेशी capital या किसी reservation के मोहताज नही है l हम दंगा फ़साद , आगजनी , आंदोलन , हिंसा वाले लोग नही है l हम तो हाथ जोड़ कर माननीय प्रधान मंत्री मोदीजी से विनती करते है कि यदि हमारी मांगो मे ज़रा भी सचाई हो और यदि उनको लगे कि ये समय माँग है और सबसे बढ़कर यदि ये देश हित मे है तो ज़रूर से कृपया कानूनों की जटिलताओं से व्यापार को मुक्त करिये l हम व्यापारी समाज और ये देश हमेशा आपके ऋणी रहेंगे l 


(  "व्यापारी मित्रों से निवेदन है , यदि उनको उचित लगे तो ज्यादा से ज्यादा forward करिये " )


 व्यापारी गण चाहते है की लिखा पडी कम से कम करना पडे। कम से कम कागजी कार्यवाही हो।कम से कम समय में सरकारी काम निपट जाये। व्यापारी , अपने व्यापार पर ज्यादा ध्यान देना चाहता है। आज तक नोवीं ,दसवीं पास स्टुडेंट ही व्यापार को प्राथमिकता देते थे।कालेज में जाने के बाद सिर्फ बीकांम के स्टुडेंट व्यापार को प्राथमिकता देने लगे। कुछ खानदानी लोग भी व्यापार पर ध्यान देते है। 

आज सरकार  GST जुलाई से लागू करने जा रही है । जिसमें एक माह में तीन तीन रिटर्न भरने.है । प्रत्येक माह में तीन रिटर्न भरने है। गलती की सम्भावना भी बड जायेगी। गलतियों को सुधारने का अवसर भी कम समय का मिलेगा। तीन रिटर्न भी एक साथ नहीं भरना है। 

अब व्यापारी , व्यापार करें या पूरे माह GST  के रिटर्न भरने की ही तैयारी करता रहे। 

अब व्यापारी के.सामने रिटर्न भरने में जो समस्या आने वाली है , वह इस प्रकार है। 

1:- सभी व्यापारी को अनिवार्य रुप से मुनिम / वकील रखना होगा।

2:- प्रतिदिन खरीदी और बिक्री बिल अपने एकाउंटटेंट को देना होगा। 

3:- एक माह के पूरा होते ही खुद.को उन आये गये बिलों की पडताल करना होगा।

4:- व्यापारी को कोई हक नहीं बनता की वह शादी विवाह में जाये ।

5:- घूमने फिरने और मनोरंजन की भी पांबदी हो जायेगी।

6:- परिवार में मृत्यु होने पर भी उसे तीन दिन दुख मनाने की आवश्यकता नहीं होगी ।

7:- एक एक व्यापारी को दो - दो एकाउंट टेंट रखना होगा। कभी किसी के बिमार पडने , गैर हाजिर रहने या किसी कारण से उपस्थित न होने पर भी उसके व्यापार की लिखा - पडी में रुकावट पैदा न हो। 

8:- जो व्यापारी सिर्फ एकल है , वे भी अब अपना व्यवसाय बन्द करके किसी अन्य व्यापारी के यहाँ नोकरी कर ले। अन्यथा उसे भी बीमार होने और पार्टी शार्टी करने का अधिकार नहीं होगा।

9:- अब व्यापारी को कमाई से ज्यादा ,अपने व्यापार में होने वाले खर्च पर ध्यान देना होगा।

10:- जीएसटी  में सजा होने पर व्यापारी को अपने व्यापार और परिवार को सम्भालने के लिए एक नई व्यवस्था करनी होगी ।

ऐसे अनेक समस्याओं से व्यापारी को जूझने के लिए एक जुलाई से तैयार हो जाना चाहिए। 

व्यापारी अब , व्यापार करने नहीं , बल्कि व्यापार के युद्व में लडने को उतरने को तैयार होकर व्यापार करें। सरकार जहां व्यापार को आराम दायक बनाने के नाम पर GST लेकर आ रही है । वही उसके साथ व्यापारियों के लिए अनेक मुसीबत को भी लेकर आ रही है।
GST को बहुत ही उलझाऊ रुप से सरकार लेकर आ रही है। इसमें सबसे ज्यादा मरण छोटे व्यापारियों का होने वाला है। बैंकों ने तो टेक्सो की आंड में अभी से अपने उपभोक्ताओं को लूटना शुरू कर दिया है।
GST क्या क्या गुल खिलायेगा , यह देखने वाली बात होगी। इससे लालफीता शाही में जबरदस्त वृद्धि होगी। फिर से देश में इस्पेक्टर राज हावी हो जायेगा। कागजी कार्यवाही बहुत बढ जायेगी। छोटे छोटे व्यवसाय बन्द होने लगेंगे। देश में बेरोजगारी बढने लगेगी।  नोकरी के अभाव में अपराध , अत्याचार , भ्रष्टाचार बढ जायेगा।

उक्त बाते तब सामने आ रही है , जब देश में Gst लागू भी नहीं हुआ है। जब Gst लागू हो जायेगा , तब नहीं मालूम कितने अत्याचार बढ जायेंगे।

Author (Mr. Deepak Ganatra) is the owner of a Ahmedabad based pharmaceutical company.


One thing I want to add:

Why petrol and diesel prices are not brought under GST.  Now for petrol and diesel the central  exise duty is 23% and state VAT is 34%. Total tax is 57%. If these essential products are brought under GST , the maximum tax will be only 28%, which means the prices of petrol and diesel can come down by almost 50%. The public at large will be benefited.

But sadly Modi government not including Petrol & Diesel in GST.


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Thanks & Vande Mataram!! Saroop Chattopadhyay.

কে এই বিমল গুরুং? Who is Bimal Gurung (Political life so far)


আমারা যারা ভাবি,ওই তো সেদিন ২০০৭ সালে ইন্ডিয়ান আইডলের প্রতিযোগী প্রশান্ত তামাংকে নিয়ে আন্দোলন করে উঠে এসেছিলো।বন্ধু,ওটা ছিলো ওর রাজনৈতিক জীবনের দ্বিতীয় আবির্ভাবের টিকিট।বৃদ্ধ সুভাস ঘিসিং এর পক্ষে মাঠে নেমে আন্দোলন করা ছিলো অসম্ভব আর গোর্খারা ঘিসিং এর উপর আস্থা হারিয়ে খুঁজছে নতুন নেতা।তাই প্রশান্ত তামাং ইস্যু হাতছাড়া করেনি গুরুং,লুফে নেয়।আর গোর্খা সেন্টিমেন্টকে ব্যবহার করে আবার প্রচার আলোয় আসে।


চা শ্রমিক পরিবারের ছেলে অল্প বয়সে সংসারের হাল ধরতে পড়া ছেড়ে রোজগারে নেমে পরে,১৯৮৬ সালে  GNLF যখন গোর্খা ল্যান্ডের দাবীতে সশস্ত্র বিপ্লবে নামে তখন ২৪ বছরের গুরুং GNLF এর যুব শাখা Gorkha Volunteers Cell এ যোগদান করেন,আবার ১৯৮৮ সালে যখন রাজ্য ও কেন্দ্র সরকারের প্রস্তাবিত Darjeeling Accord মেনে GNLF Darjeeling Gorkha Hill Council মেনে নেয়,তখন গুরুং GNLF ছেড়ে বেড়িয়ে যায়।আর নিজের মতো কাজ শুরু করে।


১৯৯৯ সালে খুন হয় DGHC  এর তুকভার নির্বাচনী ক্ষেত্রের কাউন্সিলর রুদ্র প্রতাপ।তার জায়গায় একজন ইন্ডিপেনডেন্ট প্রার্থী হয়ে জিতে আসে গুরুং, সাথে সাথে GNLF ওকে দলেটেনে DGHC এর যুব ও ক্রীড়া দপ্তরের ভার দেয়।



২০১২ সালে GTA গঠিত হওয়ার পর রাজ্য সরকার ক্ষমতা দিলো,টাকা দিলো উন্নয়ন করার জন্য।

রাজ্য ফেরতে কি পেলো?বিশ্বাসঘাতকতা??

কোথায় কি খরচা করেছেন,সেটা জানতে চাইলে বাংলা জ্বালাও?
আপনার পালানো ছাড়া এখন আর পথ নেই।
মমতা ব্যানার্জ্জী যে বিশ্বাস করেছিলেন তার প্রতিদান এই?গোর্খারা প্রতিদানে অটুট থাকেন।গুরুং তুমি গোর্খা নামের কলঙ্ক।। 

 
বাংলা বিজেপির রাজ্য সভাপতি দিলীপ ঘোষ,বলছে যে পাহাড়ের সমস্যা নিয়ে কেন্দ্রীয় সরকার হস্তক্ষেপ করতেই পারে । হু করুক ... কিন্তু প্রশ্ন ওঠে যে আরো কিছু ঘটনাবলী তে কেন কেন্দ্রীয় সরকার হস্তক্ষেপ করেনা । তার জবাব কি রাজ্য সভাপতি দেবেন ???
 
1) মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় এর অনেক দিনের দাবী, cpim যে ঋণ করে গেছে তা মুকুব করার ক্ষেত্রে কেন্দ্রীয় সরকারের হেলদোল নেই কেন ???
2) বাংলা থেকে প্রতি বছর সুদের টাকা হাতে পেয়ে কেটে নিচ্ছে অথচ বাংলার প্রাপ্য অর্থ আটকে রেখেছে কেন ???
3) কেন্দ্রীয় সরকার মশা কে ডাইনোসর আখ্যা দেওয়ার সিদ্ধান্ত নিলে । রাজ্যর মতামত তো দূর কি বাত, জানানোর প্রয়জন পর্যন্ত করেনা, কেন ???
4) কেন্দ্র জি,টি,এর সদস্য তাই যদি হস্তক্ষেপ করতে পারে ? তাহলে বাংলাও তো ভারতের রাজ্য, তাহলে কেন্দ্র একতরফাভাবে সিদ্ধান্ত নেবে কেন ???
5) একখানা লোকসভা জিতিয়ে.....বিমল গুরুং কে যদি এতটা গুরুত্ব দিতে হয় ? তাহলে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় এর মতামত কে কতটা গুরুত্ব দেওয়া উচিত ???
6) বিজেপি কেন হস্তক্ষেপ করবে ? তবে কি বিমল গুরুং এর উপর আস্থা হারালো বিজেপি ??? পাহাড়ের ও বাংলায় পাওয়া একমাত্র লোকসভা সিট নিয়ে বিজেপি কি সিঁদুরে মেঘ দেখছে ???
7) পাহাড়ে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় গেলে ও মন্ত্রিসভার বৈঠক করলে গুরুং সহ বাংলার বিরোধীদের সমস্যা কিসের ? তবে কি পাহাড়ে গুরুং এর দিন শেষ ???
8) গুরুং যদি সত্যই পাহাড়বাসীর জন্য কাজ করে থাকে ? তাহলে এতো ভয় কিসের ? নির্বাচনেই পাহাড়বাসী জবাব দেবে । উল্লেখ্য গত বিধানসভায় মরার খাট থেকে উঠে মৃতদেহ বলল "আমরা ডবল সেঞ্চুরির দিকে এগোচ্ছি" মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় তো ভয় পায়নি ! তিনি বলেছেন বাংলার মানুষ জবাব দেবে ।
9) কিছু বলার আগে বাংলার বিজেপির মনে রাখা উচিত । সমগ্র বাংলায় ই উন্নয়ন হয়েছে একমাত্র পাহাড় ছাড়া । আর পাহাড়ের উন্নয়নের জন্য কেন্দ্র মাত্র 600 কোটি টাকা দিয়েছে । কিন্তু বিশাল ঋণের বোঝা মাথায় নিয়ে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় এর সরকার GTA কে 1400 কোটি টাকা দিয়েছে । মোট 2000 কোটি টাকা, আর এই 2000 কোটি টাকা পাহাড় এর উন্নয়নের জন্য কম নয় । অর্ধেক টাকাও যদি গুরুং উন্নয়ন খাতে খরচ করত? তাহলে আজ মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় পাহাড়ে যদি প্রতিদিন ও জনসভা করতেন ? তাহলেও গুরুং এর চিন্তার কিছু ছিলনা । কিন্তু সেটা করেনি এতএব ফল ভুগতে হবে ।
10) পাহাড়ে উন্নয়ন করার জন্য মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় বিমল গুরুং কে 5 বছর সময় দিয়েছে,সঙ্গে টাকাও দিয়েছে । কাজের কাজ হয়নি..... উল্টে পাওনা । মোর্চার জঙ্গি আন্দলন আর গোর্খাল্যান্ডের দাবী ... আগামী লোকসভা ভোটের কমপক্ষে দের বছর বাকি । একজন অবিভক্ত বাংলার বঙ্গবাসী হিসাবে আমি দাবী জানাচ্ছি । এই দের বছর মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় এর তত্বাবধানে তৃণমূল কংগ্রেস জি,টি,এর সদস্য হিসাবে পাহাড়ের উন্নয়নের কাজ করুক । তারপরও যদি পাহাড়বাসী আগামী লোকসভায় বিমল গুরুং এর কথা অনুযায়ী তাদের ভোটাধিকার প্রয়োগ করে ? অথবা গোর্খাল্যান্ডের দাবিতে সরব থাকে ? তখন না হয় বিমল গুরুং কে গুরুত্ব দেবেন ? একজন বঙ্গবাসী হিসাবে বাংলার বিরোধীদের কাছে ও বিজেপির রাজ্য সভাপতির কাছে এটুকু আশা তো করতেই পারি ?
 
সঙ্গে এটা নিশ্চই বলতে পারি ...... যে বিমল গুরুং এর জনসমর্থন চিরকাল থাকবে না । মোদীজী ও চিরকাল প্রধানমন্ত্রী থাকবেন না । মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ও চিরকাল মুখ্যমন্ত্রী থাকবেন না । দিলীপ ঘোষ ও চিরকাল থাকবে না । বাংলার বিরোধীরাও না । কিন্তু একটা জিনিস চিরকাল থাকবে আর সেটা হলো ইতিহাস । তাই বিনীত অনুরোধ ইতিহাসের পাতায় বাংলা ভাগের নায়ক হিসাবে নিজের নামটা নাইবা লেখালেন ???
 
 
1952 প্রথম গোর্খাল্যান্ড দাবী করলো কে? 
রতনলাল ব্রাম্ভণ। 
দল কি? 
কম্যুনিস্ট। 
পরে সেই দাবীতেই পাহাড় উত্তাল করলো কে? 
সুভাষ ঘিসিং।
পরবর্তী কালে বন্ধু কার? 
অশোক ভট্টাচার্য। 
দল কি? 
সিপিএম। 
সেই গোর্খাল্যান্ড দেখিয়ে বিচ্ছিন্নতাবাদী সন্ত্রাসবাদ করছে কে? 
বিমল গুড়ুং। 
জোট শরীক কার? 
বিজেপি।

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